RBI Monetary Policy:- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने हाल ही में अपनी बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय लिया है। यह निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति और मुद्रास्फीति के रुझान को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। आइए इस निर्णय के प्रमुख बिंदुओं और इसके प्रभावों पर एक नजर डालते हैं।
वर्तमान रेपो रेट और बदलाव
वर्तमान रेपो रेट: 6.5%
RBI द्वारा वर्तमान रेपो रेट 6.5% है। यह रेट भारतीय अर्थव्यवस्था की मौद्रिक नीति को स्थिर बनाए रखने के लिए निर्धारित किया गया है।
रेपो रेट में अंतिम बदलाव
रेपो रेट में अंतिम बदलाव मई 2020 में किया गया था, जब इसे 40 बेसिस पॉइंट की कटौती के साथ 4% कर दिया गया था। यह कटौती COVID-19 महामारी के दौरान आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी।
महामारी के बाद वृद्धि
महामारी के बाद, मुद्रास्फीति से निपटने के लिए रेपो रेट में 250 बेसिस पॉइंट की वृद्धि की गई, जिससे रेट 6.5% हो गया।
मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC)
MPC के सदस्य
RBI की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी छह सदस्यीय होती है, जो मौद्रिक नीति के निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार होती है।
MPC के सदस्यों का वोट
हाल ही में हुए बैठक में, MPC के छह में से चार सदस्यों ने रेपो रेट को स्थिर रखने के पक्ष में मतदान किया।
मौद्रिक नीति का स्टांस
विदड्रावल ऑफ एकॉमोडेशन
MPC ने अपनी मौद्रिक नीति का रुख ‘विदड्रावल ऑफ एकॉमोडेशन’ बनाए रखा है। इसका मतलब है कि अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त नकदी को नियंत्रित करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
RBI गवर्नर का बयान
RBI गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि मुद्रास्फीति व्यापक रूप से घटने की प्रवृत्ति में है। हालांकि, उन्होंने खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण संभावित जोखिमों की भी चेतावनी दी।
महामारी के दौरान आर्थिक प्रभाव
आर्थिक प्रभाव
महामारी के दौरान, भारतीय अर्थव्यवस्था को मांग में कमी, उत्पादन कटौती और नौकरी के नुकसान का सामना करना पड़ा। इन चुनौतियों से निपटने के लिए मौद्रिक नीति के विभिन्न उपायों को लागू किया गया।
उच्च मुद्रास्फीति का कारण
खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि
हाल ही में मुद्रास्फीति के उच्च स्तर का मुख्य कारण खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि है। इस कारण से, MPC ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय लिया।
सारांश
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा है, जो नौवीं बार है। मई 2020 में COVID-19 महामारी के दौरान 40 बेसिस पॉइंट की कटौती के बाद से, RBI ने उच्च मुद्रास्फीति से निपटने के लिए रेपो रेट को 250 बेसिस पॉइंट बढ़ाकर 6.5% कर दिया है। MPC ने विदड्रावल ऑफ एकॉमोडेशन की मौद्रिक नीति का रुख बनाए रखा है, जिसमें 6 में से 4 सदस्यों ने इस निर्णय के पक्ष में मतदान किया। RBI गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि मुद्रास्फीति घटने की प्रवृत्ति में है, लेकिन खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण जोखिम बना हुआ है।
इस निर्णय का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाना और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है, ताकि आर्थिक विकास को पुनर्जीवित किया जा सके।
नोट:- केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए, खरीद और बिक्री के लिए नहीं।